भारत के शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान के नाम
श्री धर्मेंद्र प्रधान को मैं याद करवाना चाहती हूं कि पंजाब के सरकारी स्कूलों से संस्कृत पूरी तरह बंद कर दी गई है। जो सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं वहां भी अब संस्कृत पढ़ने पढ़ाने की कोई सुविधा नहीं है। स्कूलों में संस्कृत बंद होने से एक तो संस्कृत के सभी अध्यापकों के पद समाप्त कर दिए गए और स्कूलों में संस्कृत विषय न पढ़ाए जाने के कारण कोई भी विद्यार्थी कालेज में संस्कृत का विषय चाहते हुए भी नहीं पढ़ सकता। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि जो हमारे विश्वविद्यालय हैं वहां संस्कृत विभाग लगभग खाली हो रहा है। पंजाब सरकार ने पिछले पच्चीस वर्षों से संस्कृत को समाप्त करने का पूरा प्रयास किया। यह किसी ने नहीं सोचा कि संस्कृत भाषा से दूर होकर पंजाब के विद्यार्थी, पंजाब के बुद्धिजीवी अपनी संस्कृति से, धर्म ग्रंथों से, वेद पुराणों से, श्रीमद्भागवत गीता से दूर हो जाएंगे। वाल्मीकि जी की रामायण आदि ग्रंथ संस्कृत में ही है। भारत के बच्चों के लिए संस्कृत से वंचित होना अपनी संस्कृति से दूर होना है। शिक्षा मंत्री से मेरा यह निवेदन है कि वे पंजाब सरकार को और पूरे देश के सभी प्रांतों को यह निर्देश दें कि जो बच्चे संस्कृत पढ़ना चाहते हैं उनके लिए संस्कृत का प्रबंध किया जाए। वैसे तो संस्कृत आवश्यक विषय के रूप में पढ़ाई जानी चाहिए और मैट्रिक तक आवश्यक भाषा।
मैं आशा रखती हूं कि भारत के शिक्षा मंत्री भारत की आत्मा संस्कृत को जीवित रखने के लिए आवश्यक प्रभावी कार्य करेंगे।
लक्ष्मीकांता चावला